‘धर्म’ पर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचार

धर्मशास्त्री डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने धर्म के बारे में कई अनमोल विचार व्यक्त किए हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं। इस लेख में, हम बाबासाहब के उन उद्धरणों के बारे में जानेंगे, जो उन्होंने ‘धर्म’ के संदर्भ में दिए हैं। – ambedkar quotes on religion in hindi

 हा लेख मराठीत वाचा 

‘धर्म’ के बारे में डॉ. आंबेडकर के विचार – Dr Ambedkar on Religion in Hindi

Dr Babasaheb Ambedkar quotes on religion
Ambedkar quotes on religion – Ambedkar quotes in hindi

डॉ. आंबेडकर के धार्मिक विचार

भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर आधुनिक भारत के निर्माता और बहुआयामी विद्वान थे। उन्होंने 35 वर्षों तक दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों का गहन भी अध्ययन किया है, इसलिए उन्हें एक महान धर्मशास्त्री के रूप में भी जाना जाता है। आपने इससे पहले भी धर्म पर महापुरुषों के विचार जाने होंगे, और आज भी आप डॉ. आंंबेडकर जैसे महापुरुष के धर्म पर विचार जानने जा रहे हैं।

बाबासाहब के धर्म के बारे में विचार जानने से पहले आपको ‘आंबेडकर और धर्म‘ इस कड़ी को भी जानना चाहिए। 1891 में बाबासाहब महाराष्ट्र के एक अछूत हिंदू परिवार में पैदा हुए थे, और उनका परिवार धार्मिक था। अछूत होने के कारण उन्हें आजीवन छुआछूत यानी अस्पृश्यता का वंश हमेशा झेलना पड़ा, तथा जातीय और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा।

अछूतों के खिलाफ होने वाले इस मानवीय प्रथा एवं क्रूर व्यवहार की जड़े हिंदू धर्म में यानी धर्मशास्त्रों में थी, इसलिए उन्होंने इसका बेहद शक्तिशाली रूप से विरोध किया। बाबासाहब एक ऐसे धर्म के पक्षधर थे, जो मानवीय मूल्यों तथा विज्ञानवादी सोच की वकालत करता हो। 35 वर्ष अलग-अलग धर्मों का गहन अध्ययन करने के बाद बाबासाहब को बौद्धधर्म के रूप में एक ऐसा मिला, जिसे उन्होंने आधुनिक जगत के लिए सबसे बेहतर धर्म माना।

डॉ. आंबेडकर धार्मिक भी थे, और नास्तिक भी थे, और धर्मनिरपेक्ष भी थे। बाबासाहब भी धर्मनिरपेक्ष परंपरा के पक्षधर थे। आंबेडकर जैसे महान धर्म पंडित ने ‘धर्म’ अर्थात ‘रिलिजन’ के बारे में जो विचार व्यक्त किए हैं, वह इस लेख में संकलित हैं।

 

 

धर्म पर डॉ. आंबेडकर के 30 विचार – Ambedkar quotes on religion in Hindi

 

#1  लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा सामाजिक नैतिकता के आधार पर परखे जाने चाहिए। अगर धर्म को लोगों के भले के लिए आवश्यक मान लिया जायेगा, तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#2  मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 

 

#3  अगर धर्म को क्रियाशील रहना है, तो उसे तर्कसंगत होना चाहिए, क्योंकि विज्ञान का स्वरूप बौद्धिक है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 

Ambedkar on religion quotes

#4  मनुष्य धर्म के लिए नहीं है, धर्म मनुष्य के लिए है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 

 

#5  मेरा जीवन तीन गुरुओं और तीन उपास्य दैवतों से बना है। मेरे पहले और श्रेष्ठ गुरु बुद्ध हैं। मेरे दूसरे गुरु कबीर हैं और तीसरे गुरु ज्योतिबा फुले हैं…  मेरे तीन उपास्य दैवत भी हैं। मेरा पहला दैवत ‘विद्या’, दूसरा दैवत ‘स्वाभिमान’ और तीसरा दैवत ‘शील’ (नैतिकता) है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (मुंबई, 28 अक्टूबर 1954)

 

#6  मैं कभी भी भाषा, क्षेत्र, संस्कृति आदि भेदभाव नहीं देखना चाहता। मैं पहले भारतीय, फिर हिंदू या मुस्लिम के सिद्धांत से भी सहमत नहीं हूं। सभी पहले भारतीय, अंतिम भारतीय, भारतीय के परे कुछ नहीं, यही भूमिका लेनी चाहिए। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (मुंबई, 1 अप्रैल, 1938)

 

#7  अगला जन्म में हमारा कल्याण होगा, इस खोखले अफवाहों में विश्वास करने के बजाय, हमें इस जन्म में और इसी काल में अपनी प्रगति करनी चाहिए, साथ ही मानव समाज में समानता के अपने मानक स्थापित करने चाहिए और हिंदू समाज को अस्पृश्यता के पाप से मुक्त करना चाहिए। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (मुंबई, 2 फरवरी 1929)

Ambedkar on religion upsc

#8  शंकराचार्य के दर्शन के कारण हिन्दू समाज-व्यवस्था में जाति-संस्था और विषमता के बीज बोए गए। मैं इसे नकारता हूँ। मेरा सामाजिक दर्शन केवल तीन शब्दों में रखा जा सकता है। ये शब्द हैं — स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुभाव। मैंने इस शब्दों को फ्रेंच राज्य क्रान्ति से उधार नहीं लिया है। मेरे दर्शन की जड़ें धर्म में हैं, राजनीति में नहीं। मेरे गुरु ‘भगवान बुद्ध’ के व्यक्तित्व और कृतित्व से मुझे ये तीन मूल्य मिले हैं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (नई दिल्ली, 3 अक्तूबर 1954 को — ‘मेरा दर्शन’ इस विषय पर आकाशवाणी पर दिए गए अपने भाषण में)

 

#9  यदि हम एक संघटित एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता समाप्त होनी चाहिए। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

 

#10  हिंदू समाज तभी शक्तिशाली बन सकता है जब वह अपने अवांछनीय प्रथाओं को मिटाकर स्पृश्यों और अस्पृश्यों के बिच भेद समाप्त करेगा, और अछुतों के साथ समानता और मानवता का व्यवहार करने लगेगा। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (मुंबई, 1927)

 

#11 भारत में कई जातियां हैं। ये जातियां देश के लिए ख़तरनाक हैं, क्योंकि जातियाँ सामाजिक जीवन में कमियाँ पैदा करती हैं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

Ambedkar quotes on religion

#12  आज भारतीय दो अलग-अलग विचारधाराओं द्वारा शासित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान की प्रस्तावना में इंगित हैं, वो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को स्थापित करते हैं, किन्तु उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#13 विज्ञान और धर्म दो अलग चीजें हैं। कोई चीज विज्ञान का सिद्धांत है या धर्म की शिक्षा है, इसका विचार किया जाना चाहिए। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 

 

#14  धार्मिक संघर्ष मूर्खता का बाजार है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर  Ambedkar quotes on religion in Hindi 

 

#15  धर्म में भक्ति आत्मा की मुक्ति का मार्ग हो सकती है, लेकिन राजनीति में भक्ति या नायक-पूजा पतन और अंततः तानाशाही का एक निश्चित मार्ग है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (संविधान सभा, दिल्ली, 25 नवंबर 1949)

Ambedkar on religion upsc

Dr Ambedkar Quotes on Religion in Hindi

#16  छुआछूत की प्रचलित गुलामी दुनिया की अन्य सभी गुलामी से भी ज्यादा भयानक और भीषण है। यह सिर्फ हिन्दू समाज या हिन्दू धर्म के चेहरे पर काला कलंक नहीं है, बल्कि यह पुरे मानव धर्म और मानवता के लिए कलंक है। चूंकि हम हिंदू समाज का एक अभिन्न अंग हैं, इसलिए हमें हिंदुओं के हर धार्मिक संस्थान में और मंदिर में प्रवेश करने का जन्मसिद्ध अधिकार है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (अहमदाबाद, 28 जून, 1931)

 

#17  मानव जाति की प्रगति के लिए धर्म एक बहुत ही आवश्यक चीज है। मैं जानता हूं कि कार्ल मार्क्स के लेखन के कारण एक संप्रदाय का उदय हुआ है। उनके पंथ के अनुसार, धर्म का कोई मतलब नहीं है। उनके लिए धर्म महत्वपूर्ण नहीं है। उन्हें सुबह का नाश्ता चाहिए, जिनमें ब्रेड, क्रीम, मक्खन, चिकन लेग आदि मिलता हो; उन्हें चैन की नींद चाहिए, उन्हें फिल्में देखने को मिलनी चाहिए और बस इतना ही। यह उनका दर्शन है। मैं उस राय का नहीं हूं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#18  हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#19  मन की स्वतंत्रता ही वास्तविक स्वतंत्रता है। एक व्यक्ति जिसका मन स्वतंत्र नहीं है, भले ही वह जंजीरों में न हो, एक गुलाम है, एक स्वतंत्र व्यक्ति नहीं है। जिसका मन मुक्त नहीं है, भले ही वह जेल में न हो, कैदी है और स्वतंत्र व्यक्ति नहीं है। जिसका मन जीवित होते हुए भी मुक्त नहीं है, वह मृत से अधिक नहीं है। मन की स्वतंत्रता किसी के अस्तित्व का प्रमाण है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

ambedkar quotes in hindi
ambedkar quotes in hindi – धर्म पर आंबेडकर के विचार

#20  मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#21  धर्म और गुलामी असंगत हैं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

 

#22  जो धर्म जन्म से एक को ‘श्रेष्ठ’ और दूसरे को ‘नीच’ बनाए रखे, वह धर्म नहीं बल्कि लोगों को गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#23  धर्म में मुख्य रूप से केवल सिद्धांतों की बात होनी चाहिए, यहां नियमों की बात नहीं होनी चाहिए। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#24  केवल मूर्ख व्यक्ति ही कह सकता है कि किसी को अपने धर्म से ही चिपके रहना चाहिए क्योंकि वह पुश्तैनी है। कोई भी समझदार व्यक्ति इस तरह के तर्क को स्वीकार नहीं कर सकता। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

‘धर्म’ पर आंबेडकर के विचार

#25  मैं सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बन सकता था। लेकिन मैंने सोचा कि अगर मैं इसमें फंस गया तो सामाजिक कार्यों के मामले में क्या होगा। मैं अपनी बुद्धि के अनुसार चलता हूं। ईश्वर को क्या लगेगा, इस पर मैंने कभी नहीं सोचा था। मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता है। इसलिए मैं शील संवर्धन को अपना तीसरा उपास्य दैवत मानता हूं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#26 मुझे राजनीति से ज्यादा धर्म में दिलचस्पी है। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#27 मैं भगवत गीता को बिना पढ़े उसकी आलोचना करता हूं, ऐसी आलोचना की जाती है। लेकिन वह आलोचना झूठी है। पिछले पंद्रह वर्षों तक गीता का अध्ययन करने के बाद ही मैंने अपने विचार व्यक्त करना शुरू किया। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#28  मैंने कई बार वेदों को पढ़ा हैं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

Ambedkar on religion quotes

#29  बौद्ध भिक्खु नागसेन ने, धर्म के विनाश के तीन कारण बताए हैं। पहला कारण यह है कि कोई धर्म मूलतः कच्चा होता है। जिस धर्म के सार में कोई अर्थ नहीं है, वह अस्थायी है। दूसरा कारण यह है कि यदि धर्म का प्रचार करने वाले लोग विद्वान नहीं हैं, तो धर्म नष्ट हो जाएगा। बुद्धिमान लोगों ने धर्मशास्त्र समझाने चाहिए। यदि धर्म के प्रचारक विरोधियों के साथ बहस करने के लिए सिद्ध नहीं होते हैं, तो धर्म बर्बाद हो जाता है। तीसरा कारण यह है कि धर्म के सिद्धांत विद्वानों तक ही सीमित रहते हैं। आम और प्राकृत लोगों के लिए सिर्फ मंदिर ही बचते हैं। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर

 

#30 सच्चा धर्म वह धर्म है जो मनुष्य के लिए अच्छाई लाएगा। – डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 

 

#31 जिस धर्म की शिक्षाएं मनुष्य के हृदय की पाशविक प्रवृत्तियों पर काबू नहीं रखतीं, वह अप्रभावी है।

 

#32 धर्म के हर पहलू का सम्मान नहीं किया जा सकता। इसका मतलब है कि धर्म का सम्मान किया जा सकता है लेकिन आलोचना के साथ। उसी प्रकार धर्म और देश भी अलग-अलग होने चाहिए। लेकिन अगर धर्म के कारण सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ता है तो हस्तक्षेप करना चाहिए।

यह भी पढ़े 

 

 

‘धम्म भारत’ पर मराठी, हिंदी और अंग्रेजी में लेख लिखे जाते हैं :


दोस्तों, धम्म भारत के इसी तरह के नए लेखों की सूचना पाने के लिए स्क्रीन की नीचे दाईं ओर लाल घंटी के आइकन पर क्लिक करें।

(धम्म भारत के सभी अपडेट पाने के लिए आप हमें फेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *